दिल्ली में छात्र चुनाव – “आप” के लिए सुनहरा अवसर
सितम्बर माह में दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र चुनाव होंगे और खबरे आ रही है की आम आदमी पार्टी की छात्र इकाई CYSS इन चुनावो में हिस्सा लेगी. “आप” और देश के लिए यह एक सुनहरा अवसर है चुनाव सुधार की प्रक्रिया को आरंभ करने का. छात्र देश का भविष्य है, छात्र चुनाव में सुचिता स्थापित कर साफ सुथरी राजनीति की और अग्रसर एक नयी पीढ़ी तैयार हो सकती है. छात्र जीवन में साफ सुथरी राजनीति का अनुभव लेकर बाहर निकलने वाली पीढ़ी से निश्चित उम्मीद रखी जा सकती है की वो राजनीति में व्याप्त गन्दगी को साफ कर देंगे. राजनीति में सक्रीय रहते वक्त मैं अपने मित्रो से हमेशा कहता था की यह एक अवसर है भविष्य संवारने का. अब ये आप पर निर्भर है की आप देश का भविष्य संवारेंगे या खुद का. इस लेख के शीर्षक में भी “अवसर” से मेरा तात्पर्य पार्टी को मजबूत बनाना नहीं अपितु चुनावी सुधारो के अपने संकल्प की पूर्ति को और बढ़ना है.
चुनावो में व्याप्त सभी बुराइया छात्र चुनावो में भी दिखाई देती है. इन्हें रोकने के उद्देश से “जस्टिस लिंगदोह समिति” का गठन किया गया था. लिंगदोह समिति के सुझाव किसी सरकार ने तो लागू नहीं किये लेकिन 2 दिसंबर 2005 को सर्वोच्च न्यायालय ने इन सुझावों को लागु करने का आदेश दिया. दुर्भाग्यवश आज भी लगभग सभी छात्र चुनावो में सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश की खुली अवहेलना होती है. कोई भी राजनैतिक पार्टी या छात्र संघटन इन सुझावों को लागू करना नहीं चाहता. लेकिन आम आदमी पार्टी से उम्मीद है की जब CYSS इस चुनावी मैदान में उतर रही है तो वो यह सुनिश्चित करे छात्र चुनाव लिंगदोह समिति के सुझावों के अनुसार हो.
लिंगदोह समिति की रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे
लिंगदोह समिति के कुछ मुख्य सुझाव –
१) छात्र चुनावो का राजनैतिक पार्टियों से विघटन – छात्र चुनावो में किसी राजनैतिक पार्टी को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए
2) छात्र चुनावो का प्रचार केवल विश्वविद्यालय की चार दिवारी के भीतर सिमीत रहे. विश्वविद्यालय के बाहर किसी भी प्रकार का चुनाव प्रचार नहीं होना चाहिए. न कोई रैली निकले न पोस्टर लगे.
3) कोई भी प्रत्याशी पुरे चुनाव प्रचार में 5000 रुपये से अधिक की राशी खर्च न करे. और चुनाव के बाद 2 सप्ताह के भीतर खर्च का हिसाब दे. साथ इस खर्च के लिए चंदा केवल विद्यार्थीयो से ही लिया जाए. राजनैतिक पार्टियों के धन से छात्र चुनाव न लडे जाए.
4) प्रचार के लिए पोस्टर्स बैनर्स इत्यादि न छपवाए जाए. केवल हाथो से बने पोस्टर का प्रचार में उपयोग हो. प्रचार कार्यो में लाउडस्पीकर, वाहन या जानवरों का इस्तेमाल न हो.
इसके अतिरिक्त प्रत्याशियों के लिए विश्वविद्यालय में 75% उपस्थिती होना अनिवार्य है, उनपर किसी प्रकार का आपराधिक मुकदमा न हो, उनकी उम्र इत्यादि को लेकर भी कुछ नियमावली है.
वर्तमान राजनैतिक हालात में किसी भी राजनैतिक पार्टी से चुनावी सुधारों की उम्मीद करना बेमानी है. लेकिन आम आदमी पार्टी एक नयी उम्मीद की तरह देश की राजनीति में आई थी. छात्र चुनावो में लिंगदोह समिति के सुझावों लागु करना कोई मुश्किल काम नहीं है. जरुरत है तो केवल अवसर का सही लाभ उठाने की. अब ये “आप” पर है की आप इस अवसर को किस नजर से देखती है – चुनाव सुधार कर देश का भविष्य सुधारने का अवसर या अन्य पार्टियों की तरह सर्वोच्च न्यायालय की अवहेलना कर अपनी पार्टी को मजबूत बनाने का अवसर.