4 जनवरी 2013 – लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा
4 और 5 जनवरी को दिल्ली में आम आदमी पार्टी की राष्ट्रिय कार्यकारिणी की बैठक जारी थी. इस बैठक के लिए सभी राज्यों के प्रतिनिधि आये थे. इस बैठक में मैं स्वयं उपस्थित था. आगामी लोकसभा चुनावो में पार्टी की भूमिका पर चर्चा बैठक का मुख्य मुद्दा था. बैठक में अरविन्द केजरीवाल ने अपनी बात रखी. अरविन्द केजरीवाल का प्रस्ताव था की आगामी लोकसभा चुनावो में दिल्ली की सभी सीटो पर प्रत्याशी उतारे जाए. इसके अतिरिक्त देश भर में 20 – 25 जगहों पर आम आदमी पार्टी अपने उम्मीदवार उतारे. इसके बाद राष्ट्रिय कार्यकारिणी के सभी सदस्यों ने अपनी अपनी राय रखी. बैठक में सभी राज्यों के प्रतिनिधि आये थे. इस दौरान दिल्ली ही नहीं बल्कि पुरे देश में आप के पक्ष में लहर थी, राज्यों से आये सभी प्रतिनिधियों की राय थी की उनके प्रदेश में भी प्रत्याशी उतारे जाए. कई साथियों द्वारा तर्क दिया गया की चुनावो में प्रत्याशी उतरना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है क्योंकि देश को एक साफ सुथरा राजनैतिक विकल्प देने के उद्देश से ही यह पार्टी हम सबने बनाई थी. बहुमत के साथ निर्णय हुआ की जहा जहा पार्टी के सिद्धांतो पर खरे उतरने वाले प्रत्याशी मिलेंगे, पार्टी लोकसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारेगी. प्रशांत भूषण तथा संजय सिंह ने प्रेस वार्ता के द्वारा यह जानकारी दी.
उन दिनों पुरे देश में राजनीति के प्रति एक सकारात्मक उर्जा का संचार हो रहा था. अलग अलग राज्यों और जिलो पर 20 – 30 सक्रीय सदस्यों की इकाईया पहले से बनी हुई थी. लेकिन इन लोगो के लिए हजारो की तादात में जुड़ने को इच्छुक लोगो को समय दे पाना भी मुश्किल हो रहा था. जगह जगह लोग अपने मकान, दुकाने कार्यालय खोलने के लिए दे रहे थे. उन दिनों मानो हर कोई इस पार्टी से जुड़ना चाहता हो. संघटन इतनी बड़ी संख्या में आ रहे लोगो को जोड़ पाने में असमर्थ महसूस कर रहा था. हर जगह से इस तरह की खबरे अखबारों में आ रही थी. देश के बहार रहने वाले NRI में राजनीति के प्रति उत्सुकता बढ़ी, उन्होंने पार्टी को चंदा देने के साथ अलग अलग माध्यमो से पार्टी के लिए काम करना शुरू किया. कई ऐसे कार्यकर्ता है जो उस दौरान अपनी नौकरी छोड़ हमेशा के लिए भारत में आ बसे.
साथ ही राजनीति आम आदमी पार्टी के होने के कारन अन्य पार्टियों पर नैतिक दबाव बढ़ रहा था. देश की राजनीति में अब नैतिकता, सिद्धांतो, मूल्यों की बाते होने लगी. आप के प्रभाव के कारण CWG घोटाले के आरोपी सुरेश कलमाड़ी के लिए मुश्किलें बढ़ने की खबरे आने लगी. अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री भी अपनी कार्यशैली को “आप” के रंग में ढालने लगे.पुरे देश में बदलाव की लहर थी और पहली बार लगने लगा था की स्थितिया बदल सकती है.
आम आदमी पार्टी के मंत्री बंगला नहीं लेंगे, लाल बत्ती का उपयोग नहीं करेंगे इसकी घोषणा पार्टी ने पहले से कर दी थी. और घोषणा के अनुसार केजरीवाल ने आलिशान बंगला लेने से मना कर दिया. इसके बाद उनके लिए एक 5 बेडरूम का डुप्लेक्स फ्लैट आवंटित किया गया. लेकिन इस पर भी कई तरह के सवाल उठे. पार्टी के कार्यकर्ताओ एवं अन्य शुभचिंतको की सलाह पर अरविन्द ने आज इस फ्लैट को भी लेने से मना कर दिया.
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