दिन में केवल 2 बार भोजन – फायदे से अधिक नुकसान कर सकता है
व्हाट्सएप्प के माध्यम से जब भी डायबिटीज या मोटापे के इलाज को लेकर कोई सन्देश लोगो तक पहुँचता है तो उसकी विश्वसनीयता को जांचने के लिए मेरे पास सन्देश आने लगते है. ऐसा ही एक सन्देश जो लाखो लोगो तक पहुँच चूका है –
“दिन में केवल 2 बार भोजन करे, हर बार भोजन 55 मिनट से कम समय में पूरा करे. इस दौरान आप जो चाहे (मिठाई भी) खा सकते है. ऐसा करने से 3 महीने के अंदर आपका वजन 6 से 8 किलो तक कम हो सकता है, आपका डायबिटीज नियंत्रण में आ सकता है और आप डायबिटीज से पूरी तरह मुक्त भी हो सकते है”
डायबिटीज या मोटापे से ग्रसित व्यक्ति के लिए यह सन्देश एक वरदान की तरह है. इस तरह के सन्देश डॉ जगन्नाथ दीक्षित के भाषणों पर आधारित है. डॉ दीक्षित महाराष्ट्र के एक सरकारी मेडिकल कॉलेज में प्राचार्य है इसलिए उनके दावों को बिना परखे ख़ारिज नहीं किया जा सकता। इसलिए मैंने उनके एक भाषण का वीडियो जो अब तक करीब ६ लाख लोगो तक पहुँच चूका है, को देखा। उनके द्वारा भाषण में बताई गई कुछ बाते चिकित्सा विज्ञानं के क्षेत्र में सालो से स्थापित कुछ तथ्यों को चुनौती देती है. इसलिए उनके दावों को अनुसन्धान के मापदंडो पर परखना आवश्यक है. मोटापे और डायबिटीज से मुक्ति को लेकर उनके दावे जिन तथ्यों पर आधारित है उन्हें हम एक एक कर परखेंगे।
१) डॉ दीक्षित का दावा है की हर बार जब आप भोजन करते है एक निश्चित मात्रा में इन्सुलिन स्त्रावित होता है. आप भोजन में चाहे जो खाये और जितना खाये स्त्रावित इन्सुलिन की मात्रा उतनी ही (अधिकतर 8U रहती है). यदि आप लगातार 55 मिनट से अधिक समय तक भोजन करते रहे तो फिर से उसी मात्रा में (8U) इन्सुलिन स्त्रावित होता है. यदि आप दिन में केवल 2 बार भोजन करते है तो केवल 16U इन्सुलिन स्त्रावित होगा लेकिन उसी मात्रा में भोजन यदि आप 5 टुकड़ो में थोड़ा थोड़ा खाये तो कुल 40 U इन्सुलिन स्त्रावित होगा।
डॉ दीक्षित का यह दावा केवल एक दावा है, जिसको प्रमाणित करने के लिए उन्होंने अब तक कोई अनुसन्धान प्रकाशित नहीं किया है. इसके विपरीत ऐसे बहोतसे प्रकाशित अनुसन्धान है जिनसे यह स्पष्ट होता है की शरीर में इन्सुलिन का स्त्रवण न सिर्फ भोजन की मात्रा बल्कि भोजन में लिए जा रहे आहार पर निर्भर करता है. भोजन में जितनी अधिक मात्रा में कार्बोहायड्रेट होंगे उतनी ही अधिक मात्रा में इन्सुलिन स्त्रावित होता है. इस सिद्धांत के आधार पर आहार का फ़ूड इन्सुलिन इंडेक्स भी निकाला जाता है. 55 मिनट में भोजन पूरा करने की सलाह का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है.
२) डॉ दीक्षित का दावा है उनकी सलाह के आधार पर 446 लोगो का वजन कम हुआ है और इस पर आधारित अनुसन्धान उन्होंने प्रकाशित किया है.
डॉ दीक्षित का यह प्रकाशन उनके कार्यक्रमों में उपस्थित लोगो से फोन द्वारा दी गई जानकारी पर आधारित है. साथ ही उनके भाषणों लोगो को सप्ताह में 5 दिन 45 मिनट तक पैदल चलने की सलाह भी दी जाती है, जो की वजन कम करने का एक प्रभावी तरीका है. अपने दावों को सत्यापित करने के लिए जरुरी है की डॉ दीक्षित एक Randomized Controlled Trial करे, जिसके द्वारा आहार संभंधित उनके दावों का सत्यापन हो सके.
३) डॉ दीक्षित का दावा है उन्होंने प्री डायबिटीज (डायबिटीज की शुरुवाती अवस्था) के मरीजों में प्रयोग कर सफलता पाई है.
डॉ दीक्षित द्वारा प्रकाशित इस प्रयोग में 48 प्री डायबिटीज के रोगियों पर प्रयोग किया गया है. इस प्रयोग में भी रोगियों को सप्ताह में 5 दिन 45 मिनट तक पैदल चलने की सलाह दी गई थी जो की प्री-डायबिटीज की अवस्था में एक प्रभावी उपचार है.
मोटापे या या प्री-डायबिटीज से ग्रसित व्यक्ति यदि डॉ दीक्षित की सलाह के अनुसार दिन में केवल 2 बार भोजन करे तो उससे विशेष नुकसान नहीं, लेकिन यदि वो उनकी सलाह के अनुसार भोजन में मीठे या अधिक carbohydrate वाले पदार्थो का सेवन करे तो वजन बढ़ने की सम्भावना है. डायबिटीज रोगीयो के लिए इस प्रकार का भोजन फायदे के बजाय नुकसान कर सकता है. डायबिटीज रोगी यदि केवल 2 बार अधिक मात्रा में भोजन करे तो उनके रक्त में भोजन के बाद शुगर की मात्रा बढ़ सकती है जो की नुकसान देह है. साथ ही डायबिटीज के उपचार के लिए दी जा रही दवाइयों के साथ इस प्रकार के भोजन से हाइपोग्लाइसीमिया (रक्त में शुगर की मात्रा के कम होने) का खतरा रहता है जो जानलेवा भी हो सकता है. सप्ताह में कम से कम 5 दिन, 45 मिनट तक पैदल चलना सभी के लिए अच्छा है और इसके कई फायदे है. इन्सुलिन स्त्रवण और 55 मिनट में भोजन पूरा करने सम्बन्धी डॉ दीक्षित के दावों का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है.