भारतीय राजनीति में नए दौर की शुरुवात – देश वासियो को बधाई
अरविन्द केजरीवाल ने आज दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। दुनिया भर से लाखो लोगो के बधाई संदेश केजरीवाल तक पहुँच रहे होँगे। लेकिन मेरी समझ के अनुसार केजरीवाल से ज्यादा इस देश की जनता बधाई की हक़दार है। इस देश की राजनीति को बदलने का बीड़ा उठाने के लिए आने वाली पीढ़िया हमेशा केजरीवाल की ऋणी रहेगी। केजरीवाल को इस मुकाम तक पहुँचाने में मदद करने वाले सभी साथियो का आभार।
संयोग की बात है की एक साल पहले आज ही के दिन 14 फ़रवरी 2014 को केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देते हुए कहा था की हम दोबारा जनता के बीच जायेंगे और इस बार हमें जनता पूर्ण बहुमत के साथ फिर विधानसभा में भेजेगी। 28 दिसंबर 2014, केजरीवाल के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से ठीक एक साल बाद से रोजाना केजरीवाल सरकार की उपलब्धियो पर एक लेख लिखता आया हु – “वो 49 दिन” श्रृंखला के तहत. आज उस श्रृंखला का अंतिम लेख 14 फ़रवरी 2014 पर प्रकाशित हुआ. दिल्ली चुनावो की घोषणा के बाद, 22 जनवरी 2015 को मैंने एक लेख लिखा था – “15 फ़रवरी को शपथ लेंगे केजरीवाल”, भविष्यवाणी आंशिक रूप से सही साबित हुई.
केजरीवाल मुख्यमंत्री तो दिल्ली के बन रहे है लेकिन इसका प्रभाव पुरे देश की राजनीति पर पड़ेगा। इससे पहले 49 दिनो के केजरीवाल शासन ने इस देश की राजनीती को बदल कर रख दिया था। आंदोलन से राजनीति और फिर 49 दिनो के कार्यकाल पर एक पुस्तक “AK 49” प्रकाशित चूका हु। केजरीवाल दिल्ली में बिजली के दाम कम करते और उसका प्रभाव अन्य राज्य सरकारो पर पड़ता, महाराष्ट्र और हरयाणा सरकारो ने भी केजरीवाल के दबाव में बिजली के दाम कम कर दिए थे। दिल्ली में केजरीवाल बड़ा बंगला लेने से मना किया तो राजस्थान की मुख्यमंत्री ने भी बंगला नहीं लिया, केजरीवाल ने सुरक्षा लेने से मना किया तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी अपनी सुरक्षा में कमी कर दी। दिल्ली में भ्रस्टाचार के खिलाफ हेल्पलाइन जारी हुई तो छत्तीसगढ़ सरकार ने भी उस दिशा में काम करना शुरू कर दिया।
वो केवल 49 दिन थे और केजरीवाल एक अल्पमत की सरकार के मुख्यमंत्री। इस बार जनादेश ऐसा मिला की दिल्ली में विपक्ष ही नहीं बचा और इस बार सरकार पुरे 5 साल चलेगी। केजरीवाल के सामने चुनौतियां भी बड़ी है। इस सरकार से जनता को बड़ी उम्मीदे है और विश्वास भी है की केवल भ्रष्टाचार पर लगाम लगा कर, पूंजीपतियो के बजाय आम आदमी के हितो में नीतिया बना कर केजरीवाल बहोत कुछ कर पाएंगे। सबसे बड़ी चुनौती होगी केंद्र सरकार। दिल्ली एक केंद्रशाषित प्रदेश होने के नाते कई मुद्दो पर केंद्र सरकार के सहयोग की दरकार होगी। केंद्र में बीजेपी की सरकार है और आम आदमी पार्टी पुरे देश बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती है। ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार से केजरीवाल को सहयोग मिल पाना बहोत मुश्किल है। दूसरी बड़ी चुनौती है वैकल्पिक राजनीति की स्थापना के उद्देश से बनी इस नई नवेली पार्टी को पुरे देश में विस्तार के साथ अपने सिद्धांतो पर बनाये रखना। लेकिन वो 49 दिन याद करे तो लगता है सब कुछ आसान है, उन दिनो आम आदमी भी नैतिकता और सिद्धांतो की बाते करने लगा था। आज का दिन इतिहास हमेशा याद रखेगा एक नए तरह की वैकल्पिक राजनीति के आगाज के रूप में।
Arvind Kejriwal becoming CM of Delhi is an opportunity. This might well be the beginning of an era of alternative politics. But there are challenges too.