13 फ़रवरी – दिल्ली विधान सभा में कांग्रेस बीजेपी साथ साथ
आम आदमी पार्टी की और से संजय सिंह ने आज बयान दिया की मेधा पाटकर यदि लोकसभा चुनाव लडे तो “आप” उनका पूरा समर्थन करेगी. संजय सिंह ने कहा – “वो यदि निर्दलीय भी लडे तो हम उनका पूरा समर्थन करेंगे. अब तय उन्हें करना है”.
बीजेपी ने आज साफ किया की केजरीवाल यदि असैवाधानिक तरीके से जनलोकपाल बिल पेश करने की कोशिश करे तो हम उन्हें ऐसा नहीं करने देंगे. बीजेपी और कांग्रेस दोनों का तर्क एक ही था की इस बिल को बिना केंद्र की मंजूरी के विधानसभा में पेश नहीं किया जा सकता. ऐसा नहीं है की इससे पहले इस तरह के बिल दिल्ली विधानसभा में पेश नहीं हुए. कई विधेयको की संवैधानिक वैध्यता पर मतभेद होते है. इसके बावजूद ऐसे विधेयक विधानसभा और सांसद में पेश होते है, बहस भी होते है और कुछ पास भी होते है. किसी भी विधेयक को विधानसभा या सांसद में पास होने के बाद भी उसकी संवैधानिक वैधता को कानूनन चुनौती दी जा सकती है. लेकिन जन लोकपाल बिल कांग्रेस और बीजेपी के लिए एक मौका था. इस बिल को पेश न होने दिया जाए ताकि केजरीवाल वादे के अनुसार इस्तीफा देने के लिए मजबूर हो जाए. यदि केजरीवाल इस्तीफा दे दे तो उन्हें जिम्मेदारियों से भागने के लिए भगोड़ा घोषित कर दिया जाए और यदि वो इस्तीफा न दे, तो उन्हें सत्ता का लालची या वादे से पलटने वाला कह कर उनपर इस्तीफे के लिए दबाव बनाया जाया. यह राजनैतिक पांसा अब केजरीवाल के लिए उल्टा पड गया था. जो चाहे जो कोशिश करे ये तय था की कांग्रेस और बीजेपी उसे जन लोकपाल बिल पेश नहीं करने देगी. और वो चाहे इस्तीफा दे या सत्ता में बने रहे उन्हें आलोचना झेलनी ही थी.
उधर विधान सभा में बीजेपी ने खूब हंगामा किया. सत्र शुरू होते ही कानून मंत्री सोमनाथ भारती के इस्तीफे की मांग के साथ नारेबाजी की. विधान सभा की कारवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी. बीजेपी ने भारती के खिलाफ ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का नोटिस भेजा. विधान सभा अध्यक्ष ने इसे पढ़कर सुनाने के बाद इस पर भारती की टिपण्णी मांगी. लेकिन बीजेपी के विधायको ने इसका विरोध किया और वो सदन के बीचोबीच चले गए. इस मुद्दे पर कांग्रेस के विधायक बीजेपी विधायको के साथ नजर आये. जब विधानसभा की कारवाही बहाल हुई तो अब कांग्रेस के विधायक तक्तीया लेकर भारती के इस्तीफे की मांग करते हुए सदन के बीचोबीच चले आये. भारी हंगामे के बिच सदन की कारवाही स्थगित कर दी गई.
केजरीवाल ने इसे कांग्रेस बीजेपी की मिलीभगत बताया. उन्होंने कहा की इतिहास में शायद पहली बार हुआ है की कांग्रेस और बीजेपी दोनों इस मुद्दे पर साथ है. दोनों ने मिलकर विधानसभा की कारवाही नहीं होने दी.
Congress and BJP joined hands to oppose Janlokpal bill in Delhi Assembly. This unusual move brought down the Kejriwal government within 49 days of him taking the charge.