याकूब की फांसी – बहस के कुछ पहलू

आज तड़के 7 बजे मुंबई में धमाको के दोषी याकूब मेनन को फांसी दे दी गई. फांसी देने से महज कुछ घंटो पहले तक देशभर में इस फांसी को लेकर बहस चलती रही, यहाँ तक की माननीय सर्वोच्च न्यायालय में भी सुनवाई जारी रही. अंतिम फैसला फांसी के हक़ में रहा लेकिन इस फैसले से पहले कई बार न्यायालयों में इस मुद्दे पर बहस हुई, दया याचिकाओ पर विचार किया गया. 22 सालो से चल रही इस जिरह में वो सभी तर्क सामने रखे गए जो इस फांसी के पक्ष…

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Politics 

पुरे देश को जोड़ गए कलाम साहब

कल शाम अचानक खबर आई की कलाम साहब नहीं रहे और मानो पुरे देश में मातम सा छा गया. कल ही कई वर्षो बाद पंजाब में एक आतंकी हमला भी हुआ जिसमे कई मासूमो ने अपनी जान गवाई लेकिन ये सदमा उससे भी बड़ा था. सोशल मीडिया हो या मीडिया हर जगह सिर्फ कलाम साहब की ही चर्चा थी. कोई जाती, कोई धर्म, कोई पार्टी इससे अछूती नहीं रही. पूरा देश मानो एक साथ मातम मना रहा हो. हर संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति करने वाले नेताओ ने कोई बेहूदा बयान…

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Beyond Science 

Beware: Someone’s watching you

English Translation of याद रखे – आपकी हर हरकत पर उसकी नजर है  by Manasi Gandhi I am not sure whether I am a theist or an atheist, but I do have faith in the Divine power. There are reasons behind this, about which I have written in this article. Just because we cannot see them, we cannot deny the existence of such powers. I have put forward some arguments regarding the same in this article. Then come my personal experiences, because of which my belief became stronger that there is some…

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Beyond Science 

याद रखे – आपकी हर हरकत पर उसकी नजर है

गलत फहमी है आपकी यदि आपको लगता है की इसके बारे में कोई नहीं जानता। हकीकत में आप की हर हरकत पर हर कदम कोई नजर रख रहा है। व्यक्तिगत जीवन के कुछ अनुभव इस लेख में

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Politics 

संभवतः बिदाई पत्र

पिछले 2 महीनो में अजीब सा माहौल रहा. कई मित्रो ने आलोचना की और कुछ ने सराहा भी. कोई बागी कहता है, तो कोई गद्दार। कुछ ने सच्चा आंदोलनकारी भी कहा. सोशल मीडिया पर पिछले कुछ सालो में कई मित्र बने, ऐसे मित्र जिनसे मुलाकात कभी नहीं हुई. आलोचको को मैं मित्र मानता हु लेकिन इस दौर में एक झड़ी सी लगी थी, ऐसे काल्पनिक चरित्रो की जिनका जिम्मा केवल आरोप लगाना और अपमानित करना था. उस भीड़ में कई आलोचक मित्रो के साथ संवाद नहीं कर पाया इसलिए यह…

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Politics 

अरविन्द “आप” को क्या हो गया?

AC कमरों और गाडियों का आराम छोड़कर जंतर मंतर पर बिना गद्दे और तकिये के बिताये वो दिन सचमुच यादगार है. ये वो दिन थे जब नींद 16 घंटे के बजाय 70 घंटे काम करने के बाद आती. और फिर 2 अगस्त की वो शाम जब अन्ना जी ने राजनैतिक विकल्प देने की घोषणा कर दी. टीवी पर खबर देखते ही पत्नी का फ़ोन आया. उसने कहा “तुरंत वापस आ जाओ. हमें बेवकूफ बनाया गया है. आन्दोलन के नाम पर हमारी भावनाओ से खेलकर ये लोग राजनीति कर रहे है”.…

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Politics 

टकराव के कारण और समाधान

मेरी समझ में यह टकराव व्यक्तियो के बीच नहीं बल्कि परिवर्तन के लिए अपनाये जा रहे दो मार्गो के बीच का टकराव है. शीघ्रातिशीघ्र परिवर्तन का मार्ग जिसके दीर्घकाल में विफल होने का खतरा हो या दीर्घकालीन परिवर्तन का मार्ग जिसमे शीघ्र सफलता मिल पाना मुश्किल हो

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