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क्या उसका आम होना ही खास है?

AK4कोब्रापोस्ट नामक एक वेबसाइट पर विभिन्न राजनैतिक पार्टियो के नेताओ द्वारा निजी विमान सेवा के उपयोग को लेकर किये खुलासे में कई चौकाने वाली बाते सामने आयीं। तक़रीबन देश की सभी बड़ी पार्टियो के नेता नियमित रूप से निजी विमानो का प्रयोग करते है। अधिकतर पार्टियो ने इसमें होने वाले खर्च की पूरी जानकारी चुनाव आयोग को नहीं दी जो की अनिवार्य रूप से देना होती है। कोई भी सांसद, विधायक, मंत्री या मुख्यमंत्री अपनी पगार और भत्तो से इस खर्च को वहन नहीं कर सकता। तो इन यात्राओ का खर्च कौन उठाता है?

क्या नेताओ को विमान कंपनिया यह सेवाएं मुफ़्त में देती है? क्या कोई उद्योगपति इस बिल का भुगतान करते है? और हाँ तो इसके बदले में वो क्या अपेक्षा करते है? क्या यह खर्च केंद्र या राज्य सरकार करती है? यदि हाँ तो जनता के पैसे को इस तरह अपनी निजी यात्राओ में लुटाने का उन्हें क्या अधिकार है? ऐसे कई प्रश्न इस खुलासे से उठते है।

कोबरापोस्ट द्वारा किये खुलासे के अनुसार आंध्र प्रदेश के मुख्य मंत्री चंद्रा बाबू नायडू, बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्षा मायावती और तृणमूल कांग्रेस के महासचिव मुकुल रॉय, झारखण्ड विकास मोर्चा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने चूनाव प्रचार के दौरान हुए खर्च में निजी विमान सेवाओ में हुए खर्च को छुपाया जो की नियमो की खुलेआम अवहेलना है।

तत्कालीन UPA सरकार में उड्डयन मंत्री प्रफ्फुल पटेल ने कई बार निजी विमान द्वारा अपने परिवार के साथ यात्रा की। तत्कालीन केंद्रीय मंत्री वीरप्पा मोइली ने भी अपने पारिवारिक सदस्यों के साथ हवाई यात्रा के लिए निजी विमान सेवाएं ली। इन यात्राओ का खर्च किसने और क्यों उठाया यह अभी तक साफ नहीं है।

मध्यप्रदेश के मुख्य मन्त्री शिवराज सिंह, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह, बीजू जनता दल से सांसद पिनाकी मिश्रा, पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश बादल, पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिर्यादित्य सिंधिया, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी ने कई बार निजी उद्योगपतियों के विमानों का व्यक्तिगत एवं पारिवारिक यात्राओ के लिए उपयोग किया।

पूर्व कानून मंत्री सलमान खुर्शीद, कांग्रेस नेता सचिन पायलट, शिव सेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे, बीजेपी नेता एवं पूर्व झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, केंद्रीय मंत्री वेंकैय्या नायडू, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री तथा कांग्रेस नेता विजय बहुगुणा, जैसे और कई नाम इस खुलासे में सामने आये। इनमे से अधिकतर ने पारिवारिक सदस्यों के साथ निजी यात्रा के लिए विमान का उपयोग किया।

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, सांसद शत्रुघ्न सिन्हा, उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री अखिलेश यादव, झारखण्ड के मुख्य मंत्री हेमंत सोरेन, बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, माननीय राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, बीजेपी के बड़े नेता आडवाणीजी, राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज, अनंत कुमार, NCP अध्यक्ष शरद पवार, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसूंधरा राजे, किरण कुमार रेड्डी, येदुरप्पा, जगदीश शेट्टर, नारायण राणे, भूपेंदर हुड्डा, मुकुल वासनिक, अम्बिका सोनी, अशोक गहलोत, छगन भुजबल, हरीश रावत, जे पि नड्डा, मुकेश तिवारी और अन्य कई नेताओ द्वारा निजी विमानों में कई हवाई यात्राओ का विवरण इस खुलासे में किया है।

निजी विमान सेवाएं प्रदान करने वाली अधिकतर कंपनिया करोडो रुपये का नुकसान झेल रही है। इतने नुकसान के बावजूद यह कंपनिया अपनी सेवाएं क्यों जारी रख रही है यह भी सवाल उठाया गया। कही यह कंपनिया केवल नेताओ को निजी यात्राओ के लिए विमान सेवाएं प्रदान करने के लिए तो नहीं चलाई जाती?

गौरतलब है की इस पुरे खुलासे में कही भी माननीय प्रधान सेवक नरेंद्र मोदी जी का जिक्र नहीं है जब की लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान कई महीनो तक उनके निजी विमान की पूरी रिपोर्टिंग हर टीवी चैनल पर होती थी।

इस तरह सैंकड़ो नेता हवाई यात्रा के लिए निजी विमान का उपयोग कर हर साल सैंकड़ो करोड़ रुपये खर्च करते है। खर्च चाहे सरकार उठाये या पार्टी, पैसा आम जनता का खर्च होता है। और जहा उद्योगपतीयो द्वारा खर्च किया जाता है वह भी वसुला जनता से जाता है।

भारत जैसे देश में हमारे प्रतिनिधियो द्वारा केवल शानो शौकत के नाम पर इस तरह पैसा बहाना कहा तक उचित है? इसके अलावा इन यात्राओ में निजी उद्योगपतियो के विमान का उपयोग तथा यात्रा के खर्च उठाने वाले के नाम का उजागर न होना कई सवाल खड़े करता है।

दुबई में एक कार्यक्रम के लिए आयोजको के खर्च पर अरविन्द केजरीवाल ने बिज़नेस क्लास में यात्रा की थी। उस दिन यह खबर कई प्रमुख टीवी चैनल पर न सिर्फ दिखाई गई बल्कि प्राइम टाइम में इस पर पर बहस भी हुई। कोब्रा पोस्ट के इस खुलासे में बिजनेस क्लास नहीं बल्कि निजी विमान (Chartered Plane) के उपयोग का खुलासा है जो उस यात्रा से कई गुना महंगा होता है, एक नहीं सैंकड़ो नाम है, ऐसे नाम जो सत्ता में है या रह चुके है, जिन यात्राओ का खर्च किसने उठाया यह साफ नहीं है, जिसमे चुनाव आयोग के नियमो की अवहेलना का जिक्र है, जिसमे पारिवारिक सदस्यों के ऐशो आराम के लिए जनतांत्रिक पदों के दुरुपयोग का खुलासा है। लेकिन दुर्भाग्य की बात है की लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ इसपर न कोई प्रश्न पूछता है न बहस कराता है। केजरीवाल में ऐसी क्या खास बात है जो इन नेताओ में नहीं। क्या उसका आम होना ही खास है?

समस्या शायद सभी की एक है, राजनैतिक पार्टिया हो या मीडिया। इस आम आदमी की क्या औकात की ये हमें चुनौती दे, चुनावी मैदान में जिसके हम पीढ़ियों से खिलाडी रहे है। इस आम आदमी की क्या औकात की ये सबसे ताकतवर मीडिया पर सवाल उठाये जो सब को सवाल पूछता है।

राजनीति में उतरने के बाद केजरीवाल के कई समर्थक उनके आलोचक बन गए। यदि आप उनमे से एक है तो आप आलोचकों की किस श्रेणी में आते है यह इस लेख से पता करे। और यदि आपको अब भी अपनी सोच पर विश्वास है तो यह लेख पढ़ कर पता करे की क्या आपकी सोच वास्तव में आपके नियंत्रण में है?

कोब्रा पोस्ट पर पूरा खुलासा यहा पढ़े

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