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मंगल पर दंगल

mars

मंगल गृह से शुभ संकेत आ गए। वहां हवा पानी इत्यादि जीवन के लिए अनुकूल है। तय किया गया वहां मनुष्यो को बसाएंगे। हज़ारो दीवाने तैयार हो गए हमेशा हमेशा के लिए मंगल पर जा बसने को। योजना थी केवल 5 जोड़े भेजे जाये। आवेदन मंगाए गए, 5 सबसे अनुकूल जोड़ो को मंगल पर बसने के लिए चुना गया। सभी जरुरी साजो सामान के साथ यान रवाना हो गया।

बड़ी प्रतिकूल स्थितियों में इन 5 जोड़ो ने वहां रहने के लिए झोपड़े बनाये, खाने के लिए खेती शुरू की। वहा के जानवर अलग, पेड़ अलग, मौसम अलग। मुश्किल हालात में उन्होंने अपने आप को वहा के माहौल में ढालना शुरू किया। साल गुजरते गए, 5 जोड़ो से शुरू हुई मानवी बसावट अब बस्तियों में तब्दील हो गई। कई पीढ़िया बित गई। अब वहा भी पढाई होती है, अस्पताल भी है और दुकाने भी।

इस बिच धरती पर महाविनाश हुआ। सब कुछ तबाह हो गया। अब यहाँ न स्कुल थी न अस्पताल, न सड़के थी न मकान। कुछ आतंकवादियो ने परमाणु अस्त्र का इस्तेमाल किया था। और उसके बाद हुए महायुद्ध में जाने किस किस राष्ट्र ने कहा कहा परमाणु बम डाला।

जीवन के नाम पर कुछ इंसान बचे थे। इस महाविनाश से इन्हें बचाने न भगवान आया, न अल्लाह, न इसा मसीह। उनमे से एक को जानकारी थी हज़ारो साल पहले मंगल पर भेजे मनुष्यो की। धरती पर रहने लायक कुछ बचा नहीं सिवाय कुछ मशीनों के।

एक यान को तैयार किया और निकल पड़े मंगल की और अपने भाइयो की मदद लेने। यान मंगल पर उतरा और तुरंत शस्त्रधारी मनुष्यो ने उन्हें घेर लिया। उनका पहनावा अलग था, बोली अलग थी। इशारो से उन्हें समझाने के कोशिश की पर उनके लिए यह इंसान परग्रही थे। इन सबको बंदी बना लिया गया।

बन्दीगृह में रहते कुछ साल बीते, ये वहां की स्थितियां समझने लग गए थे। अब वहा भी कई देश थे और कई धर्म। कुछ मानते थे की हम पेड़ो से पैदा हुए है और वो हमारे ईश्वर है, कुछ मानते थे हम पानी से निकले है। और वहा भी जारी थी वही हिंसा कौम के नाम पर धर्म के नाम पर। मंगल पर भी वही दंगल थी जिसने धरती का विनाश किया। बंदीगृह में बैठे धरतिवासी इन्सान इन मूर्खो को ये भी नहीं समझा सकते थे की तुम न पानी से निकले हो न पेड़ो से.

कोई नहीं जानता हम कहा से आये है, किसी ने उसे नहीं देखा जिसे वो अपना ईश्वर मानते है। फिर भी लड़ाई जारी है अपनी सोच को सही साबित करने की। सबसे बुद्धिमान समझे जाने वाला यह प्राणी पूरा जोर लगा रहा है अपने अस्तित्व को मिटाने में।

अगर कही वो ईश्वर, वो खुदा, वो वाहे गुरु होगा तो अफ़सोस कर रहा होगा की शायद मैंने इन्हें बुद्धि तो बहोत दे दी, समझ देने में कुछ कमी रह गई।

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