5 जनवरी 2013 – मैं भी आम आदमी

आम आदमी पार्टी की राष्ट्रिय कार्यकारिणी की बैठक जो 4 जनवरी को आरम्भ हुई आज भी जारी रही. लोकसभा चुनावो में पार्टी की क्या भूमिका हो इस अहम् मसाले पर विभिन्न प्रदेशो से आये प्रतिनिधियों की राय ली जा रही थी. अधिक जगहों पर लोकसभा चुनाव लड़ने के पक्ष में सबसे बड़ा तर्क था, देश भर आप के सुशासन को लेकर जागा विश्वास और एक साफ सुथरा विकल्प देने की नैतिक जिम्मेदारी. देश भर में आम आदमी पार्टी से जुड़ने को उत्सुक करोडो लोगो तक हम पहुँच पाए इस उद्देश से एक अभियान शुरू किया – “मैं भी आम आदमी”. साथ ही तय हुआ की अधिक से अधिक लोग पार्टी से जुड़ पाए इसलिए 10 रुपये सदस्यता शुल्क के बजाय, निःशुल्क सदस्यता दी जाए. इस अभियान की जिम्मेदारी गोपाल राय को दी गई.

केजरीवाल को सत्ता संभाले अभी एक सप्ताह ही हुआ था, और इस दौरान सरकार ने कई महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए. लेकिन मीडिया की और से सवाल उठने लगे की आप भ्रष्टाचार में लिप्त कांग्रेस नेताओ के खिलाफ कोई कारवाही नहीं कर रहे. केजरीवाल ने फिर साफ किया की भ्रष्टाचार के मामले में किसी को नहीं बक्शा जायेगा, चाहे वो कांग्रेस से हो, बीजेपी से या आम आदमी पार्टी से. इसके लिए मुझे थोडा समय दिया जाए.

आप की राजनीति का प्रभाव अन्य नेताओ पर जारी रहा. आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने काफिले में चलने वाली गाडियों की संख्या में कटौती कर दी. साथ ही निर्देश दिया गया की उनके काफिले के लिए यातायात को न रोका जाए. अरविन्द केजरीवाल की सादगी अब देश भर के नेताओ को मजबूर कर रही थी. आम आदमी पार्टी अपने लक्ष्य की और बढ़ रही थी – देश की राजनीति को बदलने का लक्ष्य. कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री जयराम रमेश ने एक बयान में कहा की आम आदमी पार्टी देश की राजनीति को बदल रही है. और यदि कांग्रेस बीजेपी अब भी न सीखे तो इन दोनों पार्टी को नाम केवल एक इतिहास बन जायेगा. 




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